राजस्थान की लोक कला से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न द्वितीय श्रेणी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उपयोगी
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समस्त राजस्थान में कपड़े पर निर्मित पुरातन पट चित्रण परम्परा केवल एक ही जगह भीलवाड़ा व शाहपुरा कस्बों में देखने को मिलती है।
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यह फड़ भोपों के लिये बनाई जाती है। चित्रण में लोक नाट्य, गायन, वादन, मौखिक साहित्य, चित्रकला तथा लोकधर्म का अनूठा संगम देखने को मिलता है
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यह फड़ भोपों के लिये बनाई जाती है। चित्रण में लोक नाट्य, गायन, वादन, मौखिक साहित्य, चित्रकला तथा लोकधर्म का अनूठा संगम देखने को मिलता है
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भीलवाडा जिले का शाहपुरा कस्बा राजस्थान की परम्परागत लोक चित्रकला 'फड़' के कारण राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना है।
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शाहपुरा के छीपा जाति के जोशी इस पट-चित्रण (फड़) में सिद्धहस्त हैं। 'फड़' कपड़े पर बने हुए चित्र होते हैं, माध्यम से किसी घटना या कथा का प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
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फड़ की लम्बाई अधिक और चौड़ाई कम होती है फड में अधिकतर लोक देवताओं श्रीकृष्ण एवं माता दुर्गा के जीवन की घटनाओं पर आधारित विषयों का चित्रण होती है।
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शाहपुरा में फड़ चित्रकला शैली को आगे बढ़ाया। 'श्रीमती पार्वती जोशी' (श्री कन्हैयालाल जोशी की पत्नी) देश की प्रथम फड़ चितेरी महिला हैं।